प्यार और नफरत में संतुलन ज़रूरी हमेशा प्यार की मांग होगी नहीं पूरी नफरत करती है खुद को ही बर्बाद जहाँ न मिले प्यार को प्यार छोड़ ना यार शायद वो तेरी मंज़िल है नहीं जहाँ सुर में सुर मिलते नहीं सबको अख्तियार है अपनी ख़ुशी पर तू भी अपनी ख़ुशी देख छोड़ ना यार नफरत छीन लेती है हमारी सारी खुशियां उड़ जाती है हमारी आँखों से निंदिया खुद का दर्द तो सह ही रहा है तू पर इससे अपनों को भी होगा दर्द छोड़ न यार जहाँ न मिले प्यार को प्यार छोड़ ना यार